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दुकान का मुख किस दिशा मे रखना सर्वोत्तम रहता है।

दुकान की पूर्व दिशा मे मार्ग हो और दुकान का मुख भी पूर्व दिशा मे हो तो अत्यधिक शुभ फल देती है। जिस दुकान की उत्तर दिशा में मार्ग हो और दुकान का मुख भी उत्तर दिशा मे हो वह भी शुभ होती है। जिस दुकान का मुख नैऋत्य दिशा में हो और मार्ग भी दुकान की नैऋत्य दिशा से निकलता हो तो वह दुकान 15-20 वर्ष तक तो बहुत जोरों से चलती है इसके पश्चात धीरे-धीरे कम होती जाती है और व्यापार खत्म हो जाता है। जिन दुकानों का मुख पूर्व की ओर है उन दुकानों मे पुस्तकालय खोलने से, कागज संबंधी एवं विद्या संबंधी वस्तुओं का व्यापार करने से उत्तम फल प्राप्त होता है। जिन दुकानो का मुख दक्षिण दिशा की ओर एवं आग्नेय कोण मे हो उन दुकानो में सराफा (सोना, चांदी) का व्यापार एवं स्त्रियों से संबंधित सामान का व्यापार करने से बहुत लाभ होता है, किन्तु उन दुकानो का मुख नैऋत्य कोण में नही होना चाहिए। जिन दुकानो का मुख पूर्व एवं आग्नेय कोण मे होता है उन दुकानो में अग्नि से संबंधित वस्तुओं के व्यापार मे लाभ होता है। जिन दुकानो का मुख दक्षिण दिशा में हो उन दुकानों मे काले रंग की वस्तुओं (कोयला, लोहा, टायर आदि) का व्यापार करने से लाभ होता है, किन्तु इन दुकानों का मुख नैऋत्य दिशा मे नही होना चाहिए। जिन दुकानों का मुख पूर्व दिशा में हो उनमें कपड़े का व्यापार करने से लाभ होता है। जिन दुकानों का मुख पश्चिम दिशा में हो उनमें कृषि प्रधान वस्तुओं के व्यवसाय से लाभ होता है। जिन दुकानो का मुख उत्तर दिशा में हो उसमें व्यवसाय करने से बहुत लाभ होता है। दुकान में ऊपर सामान भरने की बालकनी एवं सजावट का सामान दक्षिण एवं पश्चिम भाग मे बनाना चाहिए। दुकान में पानी पीने का घड़ा ईशान कोण मे रखना चाहिए। दुकान मे लेन-देन करने की टेबल का आकार समचैरस या लम्ब चैरस होना चाहिए। त्रिकोण या गोलाकृति का कदापि नही होना चाहिए। दुकान मे दुकानदार को उत्तर मुख और ग्राहक को दक्षिण मुख अथवा दुकानदार को पूर्व मुख और ग्राहक को पश्चिम मुख बैठना चाहिए। दुकान की गद्दी पर बैठकर ताश आदि नही खेलने चाहिए और न ही किसी से गाली-गलौच करनी चाहिए। ऐसा करने से धन हानि होती है।

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