Warning: [snuffleupagus][0.0.0.0][config][log] It seems that you are filtering on a parameter 'var_array' of the function 'extract', but the parameter does not exists. in /home/acharyaa/public_html/blog/wp-includes/template.php on line 680

Warning: [snuffleupagus][0.0.0.0][config][log] - 0 parameter's name: 'arg' in /home/acharyaa/public_html/blog/wp-includes/template.php on line 680

Warning: [snuffleupagus][0.0.0.0][config][log] - 1 parameter's name: 'extract_type' in /home/acharyaa/public_html/blog/wp-includes/template.php on line 680

Warning: [snuffleupagus][0.0.0.0][config][log] - 2 parameter's name: 'prefix' in /home/acharyaa/public_html/blog/wp-includes/template.php on line 680

गृह निर्माण करने के लिए किस प्रकार की भूमि का चयन शुभ है या अशुभ?

गृह निर्माण के लिए वर्गाकार भूमि जिसकी चारों भुजाएं समान हों और सही माप की हों तो ऐसी भूमि सदा सुख देने वाली और उन्नति की ओर अग्रसर करने वाली होती है। लम्बचैारस भमि जिसकी दो भुजाएं लम्बी हों और दो भुजाएं चैड़ी हो किन्तु विस्तार लम्बाई से आधा हो ऐसी भूमि शुभ होती है। जिस भूमि की दो भुजाएं चैड़ी हो और दो भुजाएं लम्बी हों ऐसी भूमि नागपृष्ठा कहलाती है। इसमे निवास करने वालो को सुख-शांति की प्राप्ति नही होती है। यह भूमि गृहस्वामी का क्षय करने वाली, जनहानि, मानहानि, धनहानि और शत्रु वृद्धि करने वाली होती है। जिस भूमि की मुख भुजा लम्बी हो और पृष्ठ भुजा छोटी हो वह विषम चतुर्भुज भूमि कहलाती है। यह भूमि व्यावसायिक केन्द्र एवं वाणिज्य संस्थान की स्थापना के लिए अतिश्रेष्ठ होती है किन्तु गृह बनाकर निवास करने वालो को कष्टदायिनी और उनके वंश का नाश करने वाली अशुभ होती है। जिस भूमि की मुख भुजा छोटी और पृष्ठ भुजा बडी हो वह विषम चतुर्भुज भूमि कहलाती है। ऐसी भूमि पर गृह बनाकर निवास करने वालो की सुख-सम्पत्ति एवं कीर्ति मे निरन्तर वृद्धि होती है। जिस भूमि मे छह कोने होते है उसे षटकोण भूमि कहते है ऐसी भूमि गृहस्वामी को क्लेश देने वाली होती है। गोलाकृति भूमि गृहस्वामी को सुख-शांति प्रदान करती है। ईशान कोण मे बढ़ी हुई भूमि गृहस्वामी के वैभव मे और धार्मिक भावनाओं मे वृद्धि करती है। जिस भूमि का उत्तर और पूर्व का भाग बढा हुआ हो वह भूमि गृह स्वामी को मनोवांछित सुख प्रदान करने वाली होती है। जिस भूमि का दक्षिण-पूर्व और उत्तर-पश्चिम कोण कम हो ऐसी भूमि गृह स्वामी को अनेक प्रकार की सुख-सुविधाएं देने वाली होती है। जिस भूमि का मध्य भाग ऊँचा हो और अन्य दिशाएं नीची हो उसे कूर्मोन्नत भूमि कहते है ऐसी भूमि गृहस्वामी को व्यापार मे सुख-समृद्धि करती है। अण्डाकार भूमि गृहस्वामी को अनेक प्रकार के वैभव प्रदान करती है। जो भूमि त्रिकोण आकृति की होती है वह अत्यन्त अशुभ होती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *